Monday, December 29, 2008

मेरी जिंदगी


कैसा है यह जिन्दगी का
सफ़र आज कोई मिला है तो कल है उश्के बिछारने का डर
कभी लगते वो पास है तो कभी २ दूर है
तड़प मिलने की है पर दूर से ही दीदार करने को मजबूर है।
बहोत कठिन है जीवन की यह डगर
यही तो है जिन्दगी का !!!सफ़र हम उनके रहो में खुद को जलाते रहे
जलकर उनके रास्तो पे उजियारा फैलाते गए !!
वो अपनी मंजिल को पाते गए !!
मुझसे दूरियों का दायरा वो बढाते गए !!
अब तो अस्को से भर गयी है यह नज़र !!!
यह है जिन्दगी का सफ़र !!
हर किसी को अपना बनाता गया !!
सब पे जा लुटाता गया !!
सभी ने मेरे अरमानो को लुटा !!!
साथ चलने की खवाहिश थी मुझे !!
हर किसी से साथ मेरा छुटा इल्जाम न देंगे हम किसी !!
को जब मेरी तक़दीर ही निकला झूठा !!
फिर से जीवन में आयी है प्यार की एक लहर वो ना जाने ले जायेगी मुझे किधर
अब तक का मेरी जिन्दगी का सफ़र!!

3 comments:

ρяєєтii said...

Ab sab kuch to aapne JINDGI ke baare main baya kar diya..ham kya kahe .. bahot khub .....

Anju (Anu) Chaudhary said...

बहुत खूब ...साथी
जिंदगी मे क्या मिला क्या है खोया
बहुत खूबसूरती से बयां किया तुमने

Monica Shankar said...

wowowo..this is superb.. hindi aapko bahut achi si athi hai..aur yeh each sentence has a wonderfull meaning..