मैंने यह दिल जब किसी से लगाया!!हर कदम पे एक ठोकर खाया !!मैंने यह आंसू जब किसी पे बहाया !!उन आंसू में दिखी उशकी बेवफाई !!जिसे हम चाहे वो मिल ही जाये !!जरुरी नाही हर गुल खिल ही जाये !!मिल गए होते जो तुम दिलबर!!होता नाही दिल में कोई हलचल तुमने हमें जब से सपने दिखाए !!खोये है नज़रे खोयी फिजाये मैंने यह दिल जब किसी से लगाया !!हर एक कदम पे ठोकर है खाया !!वादा किया के वो मिलेंगे॥पतझर में प्यार के गुल खिलेंगे !!दुनिया चाहे या चाहे यह जमाना।!!उनके दिल पे मेरा हक़ ही होगा !!कैसे यह माने ?के अब वो है बेगाने !!कैसे दिल को हम यह बताये !!मैंने ये दिल जब किसी से लगाया हर एक कदम पे ठोकर है खाया !!
उसके लिए (सरोकार की मीडिया)
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फेसबुक पर एक लेखक वर्ग ऐसा है जो हम जैसी घरेलू लेखिकाओं से बहुत डरता है
क्योंकि हमारा लिखा (चाहे थोडा लिखें) तारीफ़ पाता है |ज्यादा की चाह के बिना
हम अपन...
10 years ago


1 comment:
बहुत खूब ...साथी
तुम्हारे लिखने मे जो दर्द है
साफ झलकता है ......शब्दों को अच्छे से वयक्त करते हो
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