
कोई मुझे अपना बना ले. पर अब ना किसी को अपना बनाना है...
वो दूर गए तो क्या रिश्ता वफ़ा का निभाना है..
वो पूछते है हमसे की क्यू ना देते हो अपनी वफाये
यह ना सोचा किसी ने जो है अन्दर से टूटा
वो भला क्या देगा सदाए !!
एक आवाज़ सी आयी कही से और फिर से गुजी
फिजा में किसी की सिसकारी !!!
मैंने देखा हर तरफ उशे ....फिर महसूस किया वो तो थी हमारी !!
दोस्ती की उसका दर्द भी देखा.. एक बार नाही हर बार ने मेरे अरमानो को
उस्ने लूटा!!
वो भी क्या करता जब रिश्ता और रिश्ते की निब ही था jhoota
नही ab ना अपना प्यार जाताना है....कोई मुझे अपना बना ले. पर अब ना किसी को अपना बनाना है.
मिले वो मुझे लगा जैसे जिन्दगी मिल गयी.
जिन्दगी के भवर में जैसे कोई साहिल मिल गयी !!
चल चला मैं साथ उसके... हर कदम पे साया बना !!
कभी बना उसके लिए किसी का अपना...तो कभी किसी के लिए पराया बना !!
फिर भी ना साथ छोड़ा उसका...और हर पल उसका किनारा बना !!
एक दिन...किनारे लहरों में समां गए , जाते जाते...वो मेरी हस्ती मिटा गए !!
फिर से अपनी एक अलग बस्ती बसाना है.... फिर से अपनी अलग पहचान बनाना है.
कोई मुझे अपना बना ले. पर अब ना किसी को अपना बनाना है.!!!
कभी बहोत खास था मैं.. क्यू की दिल के बहोत पास था मैं...
सुनायी दे जाती थी धड़कने सारी उनकी...
क्यू हर धडकनों की आवाज़ था मैं..आज ना दिल रहा ना धड़कने रहे कोई बाकि..
सायद इशे भी अभाष हो गया था...की ख़तम होने वाली है अब इनकी हस्ती..
जिन्दगी के सफ़र में उनको किनारा मिल गया था...
हमें छोर चुके थे...वो क्यू की उनको हमारा मिल गया था...
ab रिश्ते वफ़ा का ना निभाएंगे हम..
कोई मुझे अपना बना ले. पर अब ना किसी को अपना बनायेंगे


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