Wednesday, February 4, 2009

Pyar Ke Rang BHi Ajeeb Hai



प्यार के रंग भी कितने अजीब है. दूर होकर भी दिल के वो कितने करीब प्यार जो पाया उनका यह मेरा नसीब है.
जो ना पाया वो किस्मत से गरीब है.
प्यार के रंग भी ....
उनका प्यार मेरे होठो की मुस्कान है.
वो जब से आये मेरी जिन्दगी में.. मेरी सुबह जावा और हसी शाम है
.प्यार में मिलती नही सबको मंजिले
खुशनसीब सब नही होते , जिनकी खुशिया कदम चूमती है.
जिनके वजूद को हर जगह पुजती है.
दिल को ऐसा कोई मिल जाये...जो दिल के सच्चे habib hai
दूर होके भी दिल के करीब हो..
पल दो पल की मुलाकात ने मुझे उनका दीवाना बना दिया..
अपनी छोटी सी बातो से एक हसी अफसाना बना दिया..
यह दिल के रिश्ते भी कितने अजीब है...
वो दूर है...फिर भी दिल के कितने करीब है...
मिलके उनसे जाना क्या होता है प्यार और क्या होता है दिल का लगाना...
दिल के वो दिल अजीज है...दूर होते हुए भी दिल के वो कितने करीब है...

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