Sunday, July 19, 2009

रिश्तो के रंग साथी के संग


















जाने
पल में कैसे बदल जाते है रिश्ते !!
एक पल में बनते है रिश्ते अगले पल कैसे बिखर जाते है ये रिश्ते !!
रिश्तो की रंग है हज़ार.
कोई है इनसे मालामाल तो कोई है इनसे बेजार

किसी को कदर नही रिश्तो की
तो कोई एक रिश्ता पाने के लिए मिन्नतें कर रहा बार २
मैंने भी एक एक रिश्ता बनाया
दिल से उसे चाहा
दिल दीवारों को उशी तस्वीर से सजाया

एक दिन चला गया वो मुझे छोरकर मेरे प्यार भर आशियाने को तोड़ कर.. हो गए एक बार फिर से तनहा जिन्दगी में ना तो आंसू थे और ना थी.. किसी को खोने का डर !

क्यू की सिख ली थी मैंने दुनिया की अदा जो है हमारे ख्यालो से बिलकुल जुदा. पर जिन्दगी उ खत्म नही हो जाती किसी के जाने से.. सूरज डूबता है हर दिन पर दुसरे दिन फिर से निकलता है..वही जोश उशी ख़ुशी से जो वो बाट-ता है हम सभी से..

मैंने भी ऐसा किया.. फिर से खुद को सजाया. फिर से एक रिश्ता बनाया और अपने सपनो को फिर से सजाया फिर से दी अपने सपनो की उडान

फिर से डाली अपने सोये हुए जज्बातों में जान और भरी अपने साथी संग एक और उडान देखि मैंने दुनिया उनकी नज़र से.

पहली बार लगी यह मुझे बहोत ही प्यारी जो कल तक लगती थी परायी आज जिन्दगी मुझे लगती है मेरी अपनी..


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