ये जिन्दगी है ऐसी !! जब मिली तो लगी फूलो जैसी...
देखे जो हमने सपने...लगे मुझे बहोत अपने...जब टूटा ख्वाब मेरा
तो पता चला दर्द होता है क्या ??
कभी खुद मैंने उस राह पे ले जा के छोरा !! जिस पर निशान मैंने साथी के थे मैंने पाए..
आज अपनी ही पहचान को फिर रहा हु मारा २
किया था हमने प्यार , यह सोच कर की हमको मिलेगी मुझको भी ...
उनके प्यार की गहरी छाव ...क्या पता था की मुझ्को
, वो कर जायेंगे अकेला इश सफ़र में मुझको.
टूटे जो हम डाली से फिर जुड़ न पाए हम....
पतझर में हम हवावो के साथ...उड़ते जा रहे थे हम...
न थी खबर मुझे अपने मंजिल की ...न ही करवा का पता था अपना....
बस तक़दीर ले जा रही थी मुझे .
औरो के रौशनी के लिए हर रात जलता रहा मै..
छिल गए थे पाव मेरे...फिर भी चलता रहा मै..
.न थी मुझे खबर कैसा होगा मेरा आने वाला कल....
देखर जिनकी होठो की मुस्कान
.हर अपनी खुशियों को करता रहा हर दिन कुर्बान..
एक दिन उश्ने मुझसे फेर ली अपनी नज़र...
और मै उशे देखता राह गया एक टक उशे बिस्रित नजरो से...
न थी मुझे उष-से कोई सिकवा ...न थी...कोई शिकायत ...
हम जान गए थे..जिन्दगी का यह सच...
जो खिलते है फूल डाली पे .
एक दिन वो मुरझा जाते है...
प्यार कितना भी करे हम...किसी से टूट कर हम...
एक दिन वो बेवफा हो जाते है...